Thursday, March 8, 2012

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मन उपवन हुआ ..
हुआ चेहरा गुलाब ...
चढ़ा रंग ऐसा  प्रणय का .
महका हर ख्वाब ..
भीनी भीनी सी महक से ,,,,
हुआ ये ह्रदय विभोर ...
भूला ह्रदय स्पंदन सारे...
मुड चला तेरी ओर....
हुए दर्द भी मिठास भरे ..
चन्दन सी हुई वेदना ...
खोये खोये से नयन ये ....
भूले सारी चेतना ....
बार बार देख आईना....
खुद ही खुद पर हूँ इतराती
चौंक उठती जरा सी आहट पे
नाम तेरा हूँ दोहराती ....
देख हुई सराबोर तेरे ही नूर से ...
चढ़ा मुझ पे तेरा ही शबाब 






 
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