अबके होली का त्यौहार
कुछ यूँ मनाया जाये
भूल भेद भावों को ,
तोड़ धर्म जाति का बंधन
कर अनदेखा अपने पराये को
सबको गले लगाया जाये
लगायें गुलाल सम्मान का
सौहार्द का रंग ,और प्रेम के रस
में नहाया जाये
लाल गुलाबी रंग तो पड़ जायेंगे फीके
चेहरे को आशा विश्वास का रंग चढाया जाये
ख़ुशी उल्लास की घोंटे भंग फिर
समानता का जाम सबको पिलाया जाये
ऐसा लगे रंग ,विश्वास स्वाभिमान का
की कितना भी धोएं ,ना छुड़ाया जाये
हौंसलों की पिचकारी मे भर भी लो
निश्चयों का पानी ,भिगो के सबका तन मन
ऐसा रंगों की कोई और कोई रंग चढाये ना चढ़ाया जाये
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